मूर्तियों की मुखमुद्रा, शरीर की बनावट, वक्ष प्रदेश, कटि, अँगुलियाँ तता नासिका आदि की बनावट से उच्चकोटि की कला का परिचय मिलता है।
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मूर्तियों की मुखमुद्रा, शरीर की बनावट, वक्ष प्रदेश, कटि, अँगुलियाँ तता नासिका आदि की बनावट से उच्चकोटि की कला का परिचय मिलता है।
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मूर्तियों की मुखमुद्रा, शरीर की बनावट, वक्ष प्रदेश, कटि, अँगुलियाँ तता नासिका आदि की बनावट से उच्चकोटि की कला का परिचय मिलता है।
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बल्कि वहां मुख्यधारा या हाशिया जैसे विचार ही अप्रासंगिक लगते हैं जबकि हमारे समय का यह एक दुखद तथ्य रहा है कि यहां-नागर संरचनाओं में-गंभीर व उच्चकोटि की कला व साहित्य समाज के हाशिये पर है।